बेरोजगारी की समस्या कोई "आम" और "नयी" बात नहीं.. और हमारी सरकार इतने ठोस कदम उठा रही है,
कि अगर किसी ने कुछ कहा तो उसे संघ का सदस्य बताया जायेगा, जैसे संघ कोई क्रन्तिकारी "आतंकवादियों" का संगठन हो, खैर छोडो बेरोजगारी तो बहुत दूर वो तो पीने का पानी भी मुहैया नहीं करा पाए है, और १५ रुपये की "बिस्लरी" की बोतल पर कहते है, हमने तरक्की कर ली...
मुद्दे पर आता हूँ, कुछ समय पहले ट्रेन से यात्रा कर रहा था, कुछ बेरोजगार नवयुवकों को बातें करते सुना था,
बहुत परेशान थे | शायद अपने पिता के लाखों रुपये फूंक देने के बाद भी कोई नौकरी न होना ही एक मात्र कारण था |
सचमुच वो व्यक्ति इतना थक चुका था, की उसकी जिंदगी जीने की चाह भी जा रही थी |
मैं नहीं जानता कि उसने क्या किया होगा ?
एक गज़ल लिखने कि कोशिश भर कर पाया.....
कि अगर किसी ने कुछ कहा तो उसे संघ का सदस्य बताया जायेगा, जैसे संघ कोई क्रन्तिकारी "आतंकवादियों" का संगठन हो, खैर छोडो बेरोजगारी तो बहुत दूर वो तो पीने का पानी भी मुहैया नहीं करा पाए है, और १५ रुपये की "बिस्लरी" की बोतल पर कहते है, हमने तरक्की कर ली...
मुद्दे पर आता हूँ, कुछ समय पहले ट्रेन से यात्रा कर रहा था, कुछ बेरोजगार नवयुवकों को बातें करते सुना था,
बहुत परेशान थे | शायद अपने पिता के लाखों रुपये फूंक देने के बाद भी कोई नौकरी न होना ही एक मात्र कारण था |
सचमुच वो व्यक्ति इतना थक चुका था, की उसकी जिंदगी जीने की चाह भी जा रही थी |
मैं नहीं जानता कि उसने क्या किया होगा ?
एक गज़ल लिखने कि कोशिश भर कर पाया.....
पढ़े लिखे फकीरों में मेरा नाम तो होना चाहिए|
दौलत क्या चीज़ पता न था, शौहरत कमाने में रहा,
शौहरत कमाकर थक गया कुछ आराम तो होना चाहिए|
कल ही सुना था घर के इक शख्स से वो लब्ज़,
तालीम लेकर थक गया कुछ काम तो होना चाहिए|
इंसान भी अब बिक रहा है, काश सच हो ये खबर,
धो लूं मुँह, मेरा भी कुछ दाम तो होना चाहिए|
सादर:अनन्त भारद्वाज
2 comments:
yar anant maza aa gaya ye gajal dekh kar really really mast hai bhai.,.,.,.,
it's very very good... aise hi likhte rahiye, bandhuvar!
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