उन खूबसूरत आँखों की प्रतीक्षा में ये प्रतीक्षारत आँखें |
आँखें
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |
कदम दर कदम, झील में है उतरना,
हो चाहत डुबोने की, फिर क्या संभलना ?
इनकी गहराईयों में है, जन्नत हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |
इनके आंसू भी अब जैसे गंगा समान ,
पलकें झुकते ही लगतीं हैं पीर का ज्ञान |
बना दीजिये हाँ, अब तो ये किस्मत हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |
नज़रों को तुम यूँ न ऐसे घुमाओ,
खड़ा पास हूँ, अब तो दिल में बसाओ |
इन आँखों से दिल तक हैं राहें हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |
सादर : अनन्त भारद्वाज
1 comment:
बेहतरीन ....
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